जो हर रूप में मनमोहक है,
जो हर कण-कण में समाया है,
जिनके होने या ना होने कि,
हर किसी की अपनी ही परिभाषा है,
उन निराकार ईश्वर का विवरण करने का आभास ही कुछ अनमोल है।
घुंघराले केश, नैनो की बोली,
नटखट मुस्कान, मधुर वाणी,
ने कर दिया मुझे मदहोश।
बातें करने को मन है बड़ा चंचल,
लाड लड़ाकर खीर पुरी
खिलाने को हो रहा मन बड़ा बैचेन।
क्यों समझाना पड़ता है
की खा लिया आपने
बस हम ही नहीं देख पाते।
क्यों देर से आपको उठाने पर
नहीं जिद करते,
एक छोटे से बालक की तरह।
तरस रहे हैं मन और नेत्र,
आपकी छवि से विराट स्वरूप के दर्शन करने।
भक्तों की जब हर बात सुनते हो ,
दर्शन देकर अंतर मन की आंखों से,
न होना फिर कभी ओझल।
अर्जुन की भांति हमारे भी सारथी बन जाओ,
राधा की तरह बन जाओ हमारे भी सखा।
इतनी ही बस विनती है आपसे,
ऐसा भक्त बना दो मुझे,
कि धन्य धन्य हो जाए जीवन,
आपसे एक होने के भाव से।।
जय जय श्री राधे
जय श्री कृष्ण
Bahut accha